अष्ट भूज नारायण के एक ओर श्री देवी चँवर डुलाती हुई चँवर सेवा करते हुए दर्शाया जाता है। और दूसरी ओर लक्ष्मी चरण सेवा करते हुए दर्शाई जाती है।
श्री का प्रसाद गुण, विशेषताएँ, अष्ट सिद्धियाँ, सत्ता, शासन, प्रभाव, राज्य, स्थाई सम्पत्ति है।
इनका स्थिर स्वभाव है।
लक्ष्मी चञ्चला है।
लक्ष्मी का प्रसाद रत्न, स्वर्ण, रौप्य के भण्डार, नौ निधियाँ धन- सम्पदा, राशि (नगद रूपये), सेविंग बैंक अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट्स आदि हैं।
ये दोनों अजयन्त देव हैं अर्थात ईश्वर श्रेणी की देवियाँ हैं।
चतुर्भुज श्री हरि की पत्नी समुद्र मन्थन से निकली कमलासना देवी पद्मा / कमला हैं। ये आजानज देव श्रेणी की देवी हैं। अर्थात जन्मजात देवता हैं।
स्वर्ण रत्नादि इन्ही का प्रसाद है।
महर्षि भृगु की भी श्री लक्ष्मी नामक पुत्री हुई, उनका विवाह आदित्य विष्णु से हुआ।
ये आदित्य विष्णु ही ब्रह्मचर्य आश्रम में ब्रह्मचारी रूप में प्रहलाद के पौत्र और विरोचन के पुत्र बलि से तीन पग भूमि की भिक्षा मांगने गये थे और तीन पग में त्रिलोक नाप लिया था। फिर बलि को सुतल लोक भेज दिया। और उसे वरदान दिया कि, वर्ष में हेमन्त और शिशिर ऋतु में चार माह सुतल लोक के द्वारा पर रहेंगे।
कालान्तर में पौराणिकों ने इसे वर्षा और शरद ऋतु कर दिया।
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