अथर्ववेद के ब्राह्मण ग्रन्थ अवेस्ता पर जेन्द व्याख्या असूरोपासक जरथुस्त्र द्वारा की गई। उस जेन्दावेस्ता के ग्रन्थ के आधार पर पारसी सम्प्रदाय का आरम्भ हुआ इसलिए पारसी ईश्वर वरुण को महाअसुर अर्थात अहुरमज्द कहते है। अतः परसियों का ईश्वर महा असुर कहलाता है। वेदों में भी वरुण को महा असुर कहा है।मित्र देवता इनके साथी हैं।
ऋग्वेद में यह्व शब्द आया है। अग्नि को देवताओं में बड़ा बतलानें के लिए अग्नि को यह्व अर्थात महादेव कहा गया है।
चन्द्रमा के पुत्र बुध और वैवस्वत मनु की पुत्री इला का पुत्र पुरुरवा हुए। इला के पुत्र होनें के कारण पुरुरवा एल कहलाते हैं। एल मतलब इलापुत्र।
सीरिया की अरामी या पुरानी अरामी या पश्चिम आरमेइक भाषा/ चाल्डियन या खाल्डियन भाषा में ऋग्वेद का यह्व शब्द याहवेह या यहोवा हो गया और एल शब्द तो यथावत एल ही रहा।
लेकिन, बेबीलोनिया की भाषा पूर्वी अरामी में एल के रूप अल, अल्लाह, इलाही आदि बनें।
पश्चिम अरामी (या अरमाया) भाषा में यहुदी धर्मग्रन्थ तनख (बाइबल पुराना नियम) लिखा गया है। मूसा, दाउद और सुलेमान आदि और सम्भवतः इब्राहिम भी सीरिया की भाषा पश्चिमी या पुरानी अरामी ही बोलते थे। यीशु बेबीलोनिया की पूर्वी आरमेइक भाषा बोलते थे।
इब्राहिम नें एल शब्द को ईश्वर वाचक कहा और उस ईश्वर का नाम याहवेह / यहोवा (यह्व) बतलाया। इसलिए बाइबल में एल और यहोवा शब्द प्रचलित रहा लेकिन अरब प्रायद्वीप में अल, अल्लाह और इलाही शब्द ही प्रचलित रहे।
अरब में ईश्वर के लिए अल्लाह शब्द प्रचलित था जिसे मोहमद नें अपनाया। अतः कुरान में अल्लाह और इलाही ईश्वर वाचक शब्द हैं।
बाइबल में एल ईश्वर वाचक जाति वाचक सञ्ज्ञा और यहोवा व्यक्ति वाचक सञ्ज्ञा के रूप में प्रयुक्त हुआ है। लेकिन कुरान में अल्लाह केवल जाति वाचक सञ्ज्ञा के रूप में ही प्रयोग हुआ है। कुरान में ईश्वर के लिए कोई व्यक्तिवाचक सञ्ज्ञा नही है, जैसे; बाइबल मे एल की व्यक्ति वाचक सञ्ज्ञा यहोवा है।
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