शनिवार, 15 अक्टूबर 2022

पुरुषार्थ नहीं पराक्रम सही शब्द है।

पुरुषार्थ नहीं पराक्रम सही शब्द है।
अन्तरात्मा / प्रत्यगात्मा को ही पुरुष और प्रकृति कहा जाता है।
इस पुरुष के निमित्त, पुरुष के लिए पुरुष के अर्थ जो धर्म, अर्थ, काम और मौक्ष इन चारों लक्ष्यों में सफलता प्राप्त्यर्थ जो उपक्रम, पराक्रम किया जाता है उसे पुरुषार्थ यो पुरुष द्वारा की गई क्रिया/ कर्म नही कहा जा सकता।
अर्थात पुरुषार्थ का रूढ़ अर्थ पुरुष द्वारा की गई क्रिया/ कर्म  सरासर गलत ही है। 
उसके स्थान पर पराक्रम ही उचित शब्द है।
त्रिविक्रम और विक्रमादित्य शब्द में भी यही भाव है।

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