शुक्रवार, 10 जून 2022

भारत पर विदेशी आक्रमणकारियों और उनके शासन का संक्षिप्त इतिहास।

*भारत पर विदेशी आक्रमण और शासन  ---* 
भारत पर अधिकांश आक्रमण तुर्किस्तान के तुर्क लोगों ने ही किया। चाहे वे सीधे तुर्किस्तान से आए हों या पहले अफगानिस्तान में बस कर फिर भारत आये हों या तेमुरलङ्ग पहले उज़्बेकिस्तान में बसा फिर भारत आया। पर शक, कुशाण, हूण,  मुहम्मद गजनवी, मुहम्मद घोरी, जलालुद्दीन खिलजी, गयासुद्दीन तुगलक हो, या सैय्यद खिज्रखाँ हो,या तेमुरलङ्ग हो, या अफगानिस्तान का बहलोल लोधी हो या अफगानिस्तान से आया बाबर हो सभी मूलतः तुर्किस्तान के तुर्क ही थे।
केवल, हिरण्याक्ष, हिरण्यकशिपु, बाली,और ज़रथ्रुष्ट, मुहम्मद बिन कासिम, अफगानिस्तान पर आक्रमण करने वाला याकुब एलस ईराक के थे। चङ्गेज खाँ मङ्गोलिया का था और युरोपीय जातियाँ तुर्क नही थी। 
इसी प्रकार दक्षिण भारत के बहमनी वंश और निजाम तथा टीपू सुल्तान के सम्बन्ध में अभी स्पष्ट जानकारी प्राप्त नही हुई है।
इसी कारण हमारे भक्तिकाल के कबीर दास जी, नानक देव जी, रामानन्दाचार्य जी, सूरदास जी, तुलसीदास जी सबने इस्लामी आक्रान्ताओ को तुर्क ही कहा है।

आक्रमणकारियों की सुची ---

(१) हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु।

(२) बली का केरल पर शासन--- बलि को वामन द्वारा भारत से निष्कासित कर बोलिविया भेजने पर बलि अपनी सेना सहित सिन्ध, बलुचिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, होते हुए लेबनान पहूँचा। लेबनान में फोनिशिया बसा कर लेबनान से दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के बोलिविया में बसा। इस बीच उसके कुछ सैनिक तुर्किस्तान में ही बस गये। इनलोगों ने आदित्यों को तिब्बत में खदेड़ दिया। और तुर्किस्तान पर अधिकार कर लिया। ये ही लोग वर्तमान में उइगर मुसलमान कहलाते हैं।
 बाद में इन्हीं के वंशज शक, हूण, मंगोल, और मुस्लिमों के रूप में अफगानिस्तान होते हुए भारत पर बारम्बार आक्रमण करते रहे। 

(३) अफ्रीका - माली-सुमाली का लक्ष्यद्वीप पर (कुबेर की लङ्का पर रावण के साथ आक्रमण)। लगभग ८,६६,१०० ई,पू.

(४) यमन -- कालयमन का मथुरा पर *असफल आक्रमण* ।३२०० ई.पू.

(५) ईराक का ईरान पर ज़रथ्रुष्ट द्वारा *बौद्धिक हमला*। ३२०० ई.पू.। कुछ लोग ३५०० ई.पू. लिखते हैं। लेकिन पारसी ग्रन्थों (शायद गाथा) में उल्लेख है कि, कृष्ण द्वेपायन व्यास जी भारत से ईरान गये थे। वहां ज़रथ्रुष्ट से वेदव्यास जी की चर्चा/ वार्ता हुई थी। और वेदव्यास जी भगवान श्रीकृष्ण एक साथ थे। श्रीकृष्ण के गोलोक गमन से कलियुग आरम्भ माना जाता है। कलियुग ३१०० ई.पू. में आरम्भ हुआ। अतः वेदव्यास जी को अधिकतम ३२००ई.पू. माना जा सकता है।
 
(६) *ईरान* के *करूष (सायरस द्वितीय)* का भारत पर ५५० ई. पू.।

(७) *युनान* का भारत पर --- *अलेक्ज़ेंडर* (सिकन्दर) ३२६ ई.पू., *डेमिट्रियस* ने ई.पू. १८३ में, *मिनेण्डर* / मिलिन्द आदि) का ईरान, अफगानिस्तान और भारत पर।

 *तुर्क आक्रमण* ---
(८) *तुर्किस्तान* का भारत पर -- *शक* १२० इ. पू. से ३८८ इस्वी तक।  ( *चष्टान, रुद्रदामा* आदि) (सिन्ध में मीन नगर राजधानी बनाई।)

(९) *तुर्किस्तान* का भारत पर -- *कुषाण* (६०ईस्वी से २४० ईस्वी तक) कुजल *कडफाइसिस* ने *ईरान पर* , *अफगानिस्तान* , *उत्तर पश्चिम सीमा, पञ्जाब तक* , कुजल के पुत्र *विम तक्षम* ( *मथुरा विजय* ), *कनिष्क* १२७ से १४० ईस्वी तक *सारनाथ (काशी/ वाराणसी तक* विस्तार किया।)

(१०) *तुर्किस्तान* का -- *हूण* (४९९ ईस्वी से ५३२ ईस्वी तक) ईरान *अफगानिस्तान, से उज्जैन* तक। *तुरमानशाह* (तोरणमल), और *मिहिरगुल* (मिहिरकुल)।

 *ईराकी आक्रमण--* 
(११) अरब- *ईराक* का -- आक्रमण (६३८ से ७११ तक ७८ वर्ष में ९ खलिफाओं के आदेश पर १५ बार आक्रमण किया। पहले *ईरान विजय* ।

(१२) *इराक* का--  *मुहम्मद बिन कासिम*   मोहम्मद बिन कासिम का *बलुचिस्तान और सिन्ध* पर। (७११ ईस्वी -७१२ईस्वी)
सिन्ध पर खलिफा के प्रतिनिधि *जूनेद* का कब्जा रहा। सीमा विस्तार में असफल रहा।

(१३) *इराक* का -- *याकुब एलस* (८७० ईस्वी) का *अफगानिस्तान* पर। 
 
 *पुनः तुर्क आक्रमण---* 
(१४) *तुर्किस्तान* का *मोहम्मद गजनी* ने १०१९ ईस्वी में *कपिशा छोडकर शेष अफगानिस्तान* जीता । ९९९ से १०२६ के बीच  भारत पर १७ बार आक्रमण किये।

(१५) *तुर्किस्तान* -- का *महमूद घोरी* ९७७ ईस्वी। *अफगानिस्तान* मे और ११७५ से ११९४ तक कई  बार आक्रमण किया। *अजमेर* के शासक पृथ्वीराज चौहान और *कन्नोज* के शासक जयचंद को हराया।

१६ *गुलाम वंश* (१२०६ से १२९० तक) कुतुबुद्दीन, इल्तुतमिश, रजिया सुल्तान से बलवन तक।

(१६) *मंगोलिया* --- *मंगोल आक्रमण* - चङ्गेज खाँ (१२२० में सिन्ध कश्मीर, पञ्जाब पर)।

(१७) *तुर्किस्तान  के खिलजी* --  तुर्किस्तान से अफगानिस्तान में बसे *खिलजी वंश के सुल्तान* (१२२० से १३९०) जलालुद्दीन खिलजी और अलाउद्दीन खिलजी।

(१८) *तुर्क तुग़लक़ वंश* - १३२० से १४१४ तक । मुख्य रहे मगयासुद्दीन तुग़लक़ और मोहम्मद तुग़लक़।

(१९) *तुर्क का सैय्यद वंश* (१४१४ से १४५१ तक) खिज्र खांँ, मुबारक शाह, मुहम्मद शाह, अलाउद्दीन आलम मुख्य हुए।

(२०)  *तुर्किस्तान से उजाबेगिस्तान मे बसे  तेमुरलङ्ग* - १३६९ से १४०५ तक। १३६९ में उज़्बेकिस्तान के समरकंद पर कब्जा। १३८० से १३८७ तक में खुरासान, सीस्तान, अफगानिस्तान, फारस, अजरबैजान और कुर्दीस्तान आदि विजितकर १३९८ में पौत्र को भारत पर आक्रमण करने भेजा, फिर स्वयम् तेमुरलङ्ग आया *मुल्तान* विजय किया। फिर *दिल्ली* और *गुजरात* विजय किया।

(२१) *अफगानिस्तान* का *लोधी वंश* (१४५१ से १५२६ तक) बहलोल लोधी, सिकन्दर लोदी और इब्राहीम लोदी।

(२२) *अफगानिस्तान का मुगल वंश बाबर* १५२६ । हिमायु, अकबर, जहाङ्गीर, शाहजहां, ओरङ्गजेब और बहादुर शाह जफर,

(२३) दक्षिण भारत में बहमनी वंश (१३४७-१५३८) और निजामशाही वंश (१४९०-१६३६) ,हेदर अली और टीपू सुल्तान,  प्रमुख रहे, जो दक्षिण के हिन्दू साम्राज्य विजयनगरम साम्राज्य से लड़ते रहते थे। 
(२४) युरोपीयन शासन -१६९९ से १९४७ तक।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी १६९९ से १८५७ तक।  ब्रिटिश राज १८५७ से १९४७ तक।

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