अथर्ववेदोक्त ब्रह्म मुहूर्त और विष्णु पुराणोक्त ब्राह्म मुहूर्त दोनो अलग-अलग अवधारणा है।
यदि रात्रि बारह घण्टे की हो तो सूर्योदय से 96 मिनट से लेकर 48 मिनट तक का उनतीसवाँ मुहूर्त या रात्रि का चौदहवाँ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त होता है।इस समय सन्ध्या करते हैं। फिर एक मुहूर्त गायत्री जप करके उदयीमान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करते हैं।
मतलब सूर्योदय से डेड़ घण्टा पहले तो सन्ध्या चालू करना है तो, उसके पहले शोच, स्नान, योगासन आदि करने के लिए उठना तो पहले ही पड़ेगा।
इसलिए जागने के लिए विष्णु पुराण में ब्राह्म मुहूर्त बतलाया है। जो बारह घण्टे की रात्रि होने पर सूर्योदय से चार घण्टे पहले प्रारम्भ होता है और सूर्योदय से दो घण्टे पहले तक रहता है।
अर्थात 21 मार्च और 23 सितम्बर को सूर्योदय लगभग 06:28 बजे यानी लगभग साढ़े छः बजे होता है और दिन-रात लगभग बारह-बारह घण्टे के होते हैं तब रात में दो बजे उठना चाहिए। और पौने पाँच बजे सन्ध्या प्रारम्भ करना चाहिए।और पाँच बजकर चालीस मिनट से गायत्री जप प्रारम्भ करना चाहिए। तथा सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर दान आदि करना चाहिए।